Thursday 3 December 2020
महोब्बत
Self Love
The biggest struggle in life is to know, embrace, and accept ourselves, with all our faults and imperfections. Many of us were raised by parents who were themselves victims—who were not taught to see their own worth, or who were not really seen by their own parents. So, they passed on to us what they had. The focus was on survival and minimising the damage, rather than on love, appreciation, and intimacy.
Thursday 25 June 2020
Motherhood
अनजाना सुकून...
मुझे एक लड़की दिख रही थी। पर मैने उसकी तरफ नही देखा।
वह बहुत देर से मुझे देख रही थी थोड़ी दूर से,वहा बहुत से लोग थे पर पता नहीं क्यों उसकी नज़रें बस मेरे पर अटकी हुई थी।
इस शहर की खासियत यहीं हैं कि यहाँ किसी को किसी की खबर नहीं रहती, भीड़ से भरे इस शहर का अकेलेपन से गहरा लगाव हैं।
हाँ,अकेलेपन का हर बार ये मतलब निकलना ज़रूरी नहीं होता कि कोई परेशान या दुःखी होता हैं तभी कही अकेले जा के बैठता हैं,बल्कि कई बार हर एक के जीवन मे ऐसे पलों का आना मुनासिब हैं जब उन्हें खुद के साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता हैं, खुद से सवाल जवाब करते हुए खुद से मिलना अच्छा लगता हैं,खुद के लिए उदास होना,खुद के लिए मुस्कराना अच्छा लगता हैं।
मौसम इतना प्यारा था कि मैं भी उन लहरों के करीब जाने से खुद को रोक नहीं पायी।
वो मेरे ठीक बगल में आ के बैठी, मैं पैरों को खुद में समेटे एकटक समंदर की लहरों को देख रही थी ऐसा लग रहा था वो भी मेरी तरह लहरों से बातें करती होगी।
मौसम बदल रहा था बादल बरसने को आतुर हो रहे थे काले हुए बादलों का बरसना बहुत ज़रूरी होता हैं वरना कब वो तूफान का रूप ले ले समझ नहीं आता।
मन के भीतर का भी मौसम कुछ ऐसा ही होता हैं अगर समय रहते भारी मन से बौछारें ना छुटे तो तूफां को आने से कोई नहीं रोक सकता।
मेरी फोन की घंटी बार-बार बज रही थी उस कॉल को ना मैं उठा रही थी ना ही काट रही थी बस स्क्रीन को घूर के देखे जा रही थी। लगातार एक ही नम्बर से कॉल आ रहा था उसकी क्यूरोसिटी बढ़ती जा रही थी, उसका मन कर रहा होगा की वह थोड़ा झांक कर देख ले।
उसे समझ नहीं आ रहा था माजरा क्या हैं, मौसम बदल रहा था,बादल भर से गये थे ऐसा लग रहा था कि अब बरस पड़ेंगे।
जब अंदर भी दिल कुछ भर जाता हैं तो आँखों का बरसना लाज़मी होता है।
बारिश की हल्की-हल्की बूंदें गिरने लगी उसने छाता खोला और थोड़ी मेरे करीब खिसक गई तो उसने हैरानी से मेरी तरफ देखा मैं मुस्कराई - हल्की सी खोखली मुस्कान दी मेरीआँखों की कोर भरी हुई थी पर मैं रोई नहीं तब तक जबतक उसने मेरा माथा अपने कंधे पर नहीं टिकाया।
मैं हैरान। न जान न पहचान। इसने मेरा दर्द कैसे देखा।
बारिश कबकी चली गयी थी उसका दाया कंधा पूरा भीगा हुआ था। मेरा भी बाया कंधा भीगा था।
बादल भर जाए तो उनका बरसना ज़रूरी हो जाता है मन के भीतर का मौसम भी कुछ ऐसा ही होता है ना ?
वो करीब 30 साल की लड़की थी मुझसे छोटी थी। उसने मेरे गालों को सहला के सर पे हाथ फेर फिर वहा से चली गई।
हमदोनों के बीच कोई बात नहीं हुई.. ना उसने कुछ पूछा ना मैंने कुछ बताया बस तसल्ली इस बात से हुई कि अब मुझे कुछ सुकून सा लग रहा था। पता नही कयनी देर मैन अपना सर उसके कांधे पर रखा। मैंने आंखें बंध कर ली थी और दोनो बारिशें खूब बरसी।
मैंने पहले भी सुना था कि हर इंसान का अपने हिस्से का एक अपना सफ़र होता है जिससे उसे खुद ही लड़ना होता है और पार करना होता हैं।
हर परेशानी की वजह जानना ज़रूरी नहीं होता,कई बार बिना कुछ कहे साथ चल देना या कंधे पे हाथ रख देना भर ही काफी होता हैं।
बहुत भरा हुआ है ये शहर
अकेलेपन की भीड़ से।
Because.. Something bigger is waiting for you ❣️
ज़िंदगी मे परेशानियों का आना-जाना तो लगा ही रहता हैं,और ऊपर वाला हम सबको उन परेशानियों से मुक्त होने की काबिलियत भी देता है।
मगर कुछ परेशानियां पीड़ा के रूप में आती हैं जैसे बंद दरवाजे के नीचे से कैसे चीटियाँ घुस आती है कमरे में उसी तरह ये पीड़ाएं भी दिल के उन कोनों में आ के बैठ जाती है जहाँ से उन्हें निकाल पाना लगभग नामुमकिन सा हो जाता है।
ये बेवज़ह नहीं आती..बेवजह कुछ भी नहीं होता यहाँ हर ऐक्शन का रिएक्शन होना प्रकृति का नियम हैं।
परेशानी और पीड़ा में बेहद अंतर हैं हमें जब किसी बात से परेशानी होती है तो हम उसका इलाज ढूंढते है सलाह लेते है उसपे काम करते है या फिर उसके बारे में सोचना बंद कर देते है, मगर पीड़ा हमारे मन पे लगे घावों को अंदर ही अंदर कुरेदती रहती हैं।
किसी पीड़ा से गुज़र रहे लोग कभी रोते नहीं वो एक serious मुस्कान के साथ खामोश रहते हैं।
बेवज़ह के खयालों के साये में रहते हुए वक़्त की डायरी में जाने कितने रतजगे दर्ज किए जाते हैं उनकी ज़िन्दगी में और आंसुओं का सारा हिसाब तकिए बड़ी आसानी से सोक लेते हैं अपने अंदर।
ना रहा जाए ना सहा जाए जैसी हालत में फिर ऐसा भी वक़्त आता है जब साँसें भी बोझ लगने लगती हैं किसी अनचाहे डर के इतने भयानक खयाल मंडराते है सर पे की मन करता है किसी कोठरी में जा के दुबक के बैठ जाये जहाँ ये खयाल पीछा करते हुए पहुच ही ना पाए,मगर मन की कोई नहीं सुनता।
जाहिर है पीड़ा इतनी गहरी है तो वजह भी गहरी रही होगी और शायद इन्ही पीड़ाओं को डिप्रेशन या एंग्जायटी कहा गया है जो एक हँसते-खेलते इंसान को ज़िंदा लाश की तरह बना देता है जिसे ना हँसने की सुध होती है ना रोने से करार भर आता।
खामोशी होंठो से ऐसे लिपटी होती है जैसे कोई नवजात बच्चा माँ से लिपटा हुआ हो।
और ज़िन्दगी में आए ऐसे वक़्त को डायरी में सबसे बुरा दौर लिखने में कोई हिचक नहीं होती।
अगर गुज़रे हो कभी इसी दौर से या गुज़र रहे हो तो सुनो..लिख देना इस डायरी में हर उस पल को जिसने तुम्हे जज़्बाती तौर पर नोच खाया हो, जिसने छीन लिया तुम्हारे हिस्से का सारा सुकून और तुम्हे अपनी ही नज़रों में बेगैरत बना के रख दिया हो, लिख देना हर उस इंसान के बारे में जिसने तुम्हारी सादगी और सरलता को अपने पाखंड से रौंद दिया हो, लिख देना सब उस डायरी में और वो डायरी तुम जला देना।
क्योंकि अब तुम्हारा सबसे बेहतरीन दौर आने वाला हैं और आने वाले सुनहरे पलों में बीती कड़वी यादों का कोई काम नहीं..
रात का बीत जाना तय है
और सुबह का होना भी।
अगर पीड़ा असहनीय मिली है तो उससे उभरने की ताकत भी हमारे अंदर ही हैं अगर उस सबके बावजूद भी हम नहीं टूटे और साँसें चल रही हैं तो यकीन मानिए ऊपर वाला हमसे कुछ बेहतरीन करवाने की कोशिश में हैं।
लोहे को आकार देने के लिए उसे कई हथौड़ों की मार का सामना करना पड़ता हैं।
अपने सही आकार को पाने के लिए जीवन में तपना भी होगा और खपना भी होगा।
हर इंसान का अपने हिस्से का खुद का एक सफर होता है जिसे उसे खुद ही पार करना होता है हमारे दोस्त और परिवार मौलिक और नैतिक रूप हमारी मदद कर सकते है मगर उससे उभरने के लिए उससे बाहर आने के लिए हमें खुद ही उससे लड़ना पड़ेगा।
वक़्त तो लगेगा मगर यकीन रखना बस उसी पल के बाद एक नई डायरी तुम्हारा इंतज़ार कर रही होगी।
Wednesday 13 November 2019
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I am in kitchen, cooking, listening to some music, which is hitting me on my heart. Wh...
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I'm starting to think that I am my own worst enemy sometimes. I bring on problems for myself, then act like a victim. Today I real...
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“Gar firdaus bar-rue zamin ast, hami asto, hamin asto, hamin ast.” “If there is a heaven on earth, it’s here, it’s here, it’s here.” ...