Wednesday, 13 November 2019

पुराना तानपुरा......


मैं तो शांत पड़ी थी सालो से,
कोने में पड़े किसी पुराने तानपुरे जैसी,
तुम ज़रा जल्दबाजी में कमरे में गए कुछ ढुंढने शायद,
और झटपटाहट में एक साज़ सा छेड़ दिया |

तुम तो चले गए
पर हल्की हल्की झनझनाहट अभी भी बाकी हैं |
शायद इसी इंतजार में कि
एक दिन तुम आओगी फिर से
मुझमें कोई नया राग छेड़ने |

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When alone...